- सोशल नेटवर्किंग साइट ना सिर्फ अपनों से नज़दीकीयां बढ़ाने में ही बल्कि नए रिष्ते बनाने के भी काम आ रही हैं। इसके ज़रिये लोग अपने पुराने कहीं छूट चुके रिष्ते फिर से जोड़ने की कोषिष कर रहे हैं। इन पर अकाउंट बना कर वे दूर दराज़ किसी अन्य देष में बैठे अनजान लोगों से भी जान पहचान बना रहे हैं। उन्हें समझने की कोषिष कर रहें हैं। किसी ने कहा भी है कि इंसान बिना लोगों से मिले जाने पहचानें ज्यादा समय तक ज़िंदा नहीं रह सकता। इसीलिए इस डिजीटल वल्र्ड में सोशल नेटवर्किंग साइट को पनाह दी गई। मार्षल मैक लुहन ने कहा था कि एक दिन विष्व एकत्रित हो कर एक समुदाय का रूप ले लेगा। और वैसा ही कुछ इस दौर में नज़र आ रहा है जहां इंटरनेट की मदद से पूरा विष्व एक चैपाल बन गया है जहां पूरा विष्व इकट्ठा हो कर अपना योगदान दे रहा है।
- इन सोशल नेटवर्किंग साइट की मदद से लोगों के पुराने रिष्तों में भी सुधार आ रहे हैं। वे आपस में मेल की संभावनाएं बना रहे हैं। चाहे फिर वो स्कूल के समय का कोई दोस्त हो या फिर दूसरे देष में रह रहा रिष्तेदार।
- वहीं नए रिष्तों में भी इससे बढ़त आई है। लोग अपने जैसे लोग ढ़ू्रढ़ कर बात चीत या मेल मिलाप बढ़ा रहे हैं। चाहे फिर वो पड़ोस की बिल्डींग में रहने वाले हम उम्र हो या फिर विदेष में रहने वाले कोई दंपत्ति अपने मोबाइल फोन या कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक क्लीक से हम किसी से भी जान पहचान बढ़ाने में सक्षम हैं।
- सोशल नेटवर्किंग साइट से एक फायदा यह भी है कि यह हमें बोलने की आज़ादी देता है। किसी भी मुद्दे पर अपनी बात बड़ी बेबाकी से रखने का मंच देता है।
- इसके ज़रिये लोगों की छुपी हुई प्रतिभा को भी सामने लाने का मंच मिल रहा है। लोग अपना हुनर इसके ज़रिये दिखा रहे हैं।